मध्य प्रदेश का यह जिला भौगोलिक रूप से बीहड़, उपजाऊ भूमि और घने वनों के लिए जाना जाता है। भिंड, मध्य भारत जिसे 28 मई 1948 को गठित किया गया था, के 16 जिलों में से एक था । इसके बाद, नवंबर में राज्यों के पुनर्गठन के परिणामस्वरूप 1956 में भिंड नवीन राज्य मध्य प्रदेश का हिस्सा बन गया. पूर्व में भिंड जिले में भिंड, मेहगाँव, गोहद और लहार कुल 04 तहसील थीं, परन्तु वर्तमान में इनकी संख्या 08 है. ये तहसीलें हैं – भिंड, अटेर, मेहगाँव, गोहद, मिहोना, लहार, गोरमी एवं रौन.
इतिहास के अनुसार, भिंड नाम ऋषि भिंडी से उद्भूत है।
यह सर्बविदित तथ्य है युगों से भिंड डकैतों, लुटेरों या ठगों की लूटमार से ग्रस्त रहा है । भव्य चंबल, घुमावदार गहरे व चौड़े गह्वर, भयावह बीहड़ दस्यु-अनुकूल आदर्श वातावरण सुलभ कराते रहे हैं. मुगल काल के दौरान भी शक्तिशाली प्रशासन इन खतरों को रोकने में विफल रहा । 1959 से 1963 के दौरान अकेले भिंड जिले में 216 डाकू मार गिराए गए और 697 गिरफ्तार किए गए।
भिंड के प्रमुख पर्यटन स्थल
1. अटेर का किला
इसका निर्माण भदौरिया राजा बदन सिंह, महा सिंह और बखत सिंह द्वारा 1664-1668 के काल में किया गया था इनके नाम पर इस क्षेत्र को “भदावर” के नाम से जाना जाता है. यह चंबल की गहरी वादियों के अन्दर स्थित है. वर्तमान में यह खंडहर की अवस्था में है. यह भिंड शहर के पश्चिम में 35 किलोमीटर दूर स्थित है। यहाँ जाने के लिए प्रातः 6 बजे से सायं 4 बजे तक परिवहन उपलब्ध रहता है. यहाँ बस या जीप जो अटेर रोड / बस स्टैण्ड पर उपलब्ध रहती हैं, से आसानी से जाया जा सकता है .
‘खूनी दरवाजा’, ‘बदन सिंह का महल’, ‘हथियापुर’, ‘राजा का बंगला’, ‘रानी का बंगला ‘और’ बारह खंबा महल’ किले के मुख्य आकर्षण हैं
भिंड शहर में स्थित एक अन्य किला भी भदौरिया राजा द्वारा विद्रोहियों पर नियंत्रण रखने के लिए बर्ष 1654-1684 के काल में बनवाया गया था । सिंधिया शासन के दौरान दरबार हॉल का निर्माण किया गया था जिसमें वर्तमान में जिला आर्कियोलॉजिकल एसोसिएशन भिंड (म..प्र.) द्वारा संग्रहालय चलाया जा रहा है.
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