दोस्तों इस article में मैं आपको मुरैना जिले के बारे में पूरी जानकारी दूंगा जो आपको किसी भी blog, किताब और विडियो में नहीं मिलेगी इसलिये आप इस article को पूरा पढ़ें और यह आपकी परीक्षा के लिए बहुत उपयोगी होगी.
मोर पक्षी की अधिकता के कारण इस जिले का नाम मुरैना पड़ा. आपको बता दें की मुरैना मध्यप्रदेश का सर्वाधिक उत्तरी सीमान्त जिला जिला है.
यहाँ कत्था बनाने का कारखाना है.
source:
https://morena.nic.in/
यहाँ कत्था बनाने का कारखाना है.
मुरैना जिले की सीमा- morena district
मुरैना का कुल क्षेत्रफल 4989 वर्ग किलो मीटर है. चम्बल नदी जिले के उत्तरी सीमाओं का निर्माण करती है और जिले से राजस्थान और उत्तर प्रदेश को विभाजित करती है.- मुरैना जिला मध्य प्रदेश का सबसे उत्तरी सीमान्त जिला है. इस जिले की सीमा दो पड़ोसी राज्यों उत्तर प्रदेश और राजस्थान से मिलती है.
- मुरैना जिला क्षेत्रफल के संम्बंध में राज्य का 34 वा सबसे बड़ा राज्य है. आपको बता दूँ की मध्यप्रदेश का कुल क्षेत्रफल 3,8,244 वर्ग किलोमीटर है.
- मुरैना चम्बल संभाग के अंतर्गत आता है. मुरैना के अंतर्गत 7 तहसीलें- मुरैना, अम्बाह, जौरा, सबलगढ़, कैलारस, पोरसा, पहाड़ गढ़ आती हैं.
- मुरैना की प्रमुख नदियाँ
- मुरैना की तीन प्रमुख नदियाँ हैं: चम्बल, आसन नदी और कुंवारी नदी.
1. चंबल नदी
- चम्बल नदी इंदौर में मालवा के पठार में स्थित जनापाऊ की पहाड़ियों से निकलती है. यह इंदौर इंदौर से निकलने के बाद उज्जैन, रतलाम, मंदसौर और राजस्थान के मध्य से होकर गुजरती है.
- पार्वती संगम बिंदु पर यह श्योपुर जिले की सीमा को छूते हुए जिले की पूर्वी सीमा का निर्माण करता है.
- चम्बल नदी पर चूलीय जल प्रपात है जो की राजस्थान के कोटा में स्थित है.
- उत्तर प्रदेश की सीमा में प्रवेश करने के बाद यह इटावा जिले में यमुना नदी में शामिल हो जाती है.
- चम्बल नदी की प्रमुख सहायक नदियाँ शिप्रा, सिंध, काली सिंध, और कुनू नदी है.
- इस नदी पर चार विद्युत् परियोजनाएं है: गाँधी सागर, रना सागर, जवाहर सागर, और कोटा वेराज (कोटा) में है.
2. आसन नदी
यह नदी श्योपुर जिले से देवरी के पठार से निकलती है. यह कुवारी नदी की सहायक नदी है.3. कुवारी नदी
कुवारी नदी शिवपुरी जिले के देवगढ़ के उत्तर पूर्वी पठार से निकलती है. इसकी सहायक नदी आसन है.मुरैना के प्रमुख पर्यटन स्थल (morena is famous for)
मुरैना पर्यटन की दृष्टी से धनी राज्य है और इसमें कई सारे महत्वपुर्ण पर्यटन स्थल हैं जिनकी बात हम नीचे करने वाले हैं.ककनमठ मंदिर
ककनमठ मंदिर का निर्माण गुर्जर प्रतिहार शासकों ने 9 वीं शताब्दी में किया. गुर्जर प्रतिहार शैली में बना यह मंदिर 115 फीट ऊँचा है.बटेश्वर मंदिर
बटेश्वर मंदिर मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में गुर्जर प्रतिहार वंश के शासकों के द्वारा बनाया गया मंदिर है. यह मंदिरों का समूह है जो लगभग 25 एकड़ में फैला हुआ है. ये मंदिर शिव, विष्णु और शक्ति को समर्पित है.श्री शनिचरा मंदिर
यह शनिदेव का मंदिर है और प्रति शनिवार यहाँ पर देश के कई भागों से लोग आते हैं. शनिचरी अमावश्या पर यहाँ विशेष मेले का आयोजन होता है. कहा जाता है कि यह मंदिर शनि शिन्गनापुर से भी पुराना है.मितावली मंदिर (चौसठ योगिनी मंदिर)
- मितावली मंदिर को चौसठ योगिनी मंदिर के नाम से जाना जाता है. यह मंदी मुरैना जिले के मितावली नामक गाँव की पहाड़ी पर स्थित एक प्राचीन मंदिर है.
- यह भारत के उन चौसठ योगिनी मंदिरों में से है जो अभी भी अच्छी दशा में हैं.
- यह मंदिर 9 वीं सदी में गुर्जर प्रतिहार वंश के दसवें शाशक सम्राट देवपाल गुर्जर ने बनवाया था.
- ब्रिटिश वास्तुविद सर एडविन लुटियंस का बनाया गया भारत का संसद भवन इसी चौसठ योगिनी मंदिर के आकृति का है.
- लुटियंस ने संसद भवन का डिजाईन इस गुर्जर प्रतिहार के मंदिर से चुराया था.
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इस मंदिर को प्राचीन इतिहासिक स्मारक घोषित किया है.
राष्ट्रीय चम्बल अभ्यारण्य
- इसे दर्राह राष्ट्रीय उद्यान या राष्ट्रीय चम्बल वन्यजीव अभ्यारण्य
- इस अभ्यारण्य को घडियाल अभयारण्य के नाम से भी जाना जाता है यह अभ्यारण्य 435 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है.
- यह तीन राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान, और उत्तर प्रदेश से घिरा हुआ है और चम्बल नदी के किनारे स्थित है.
- इस अभ्यारण्य को सितम्बर 1978 में राष्ट्रीय अभ्यारण्य घोषित किया गया.
- राष्ट्रीय चम्बल अभ्यारण्य मध्यप्रदेश,राजस्थान,और उत्तरप्रदेश में फैला हुआ है. इसके प्रबंधन और प्रशासन के उद्देश्य से इसका प्रशासनिक मुख्यालय मुरैना में स्थित है.
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